“क्या आपको यह लगता है कि आप जीवन में खो गये हैं? क्या आपकी भावनाएँ कभी-कभी आपको विव्हल कर देती हैं? क्या आपको यह अचरज होता है कि आपके साथ बुरी चीज़ें क्यों होती हैं?”
विभिन्न पृष्ठभूमि से आये पाठकों के लिए लिखी गई इस पुस्तक में हमारे जीवन की भावुक यात्रा की एक मनो-आध्यात्मिक जांच की गई है और हमें यह इस प्रश्न का उत्तर देने में सहायता करती है कि “मैं यहाँ क्यों हूँ?” जब हम जीवन की गहन भावनाओं को अनुभव करते हैं तब उन अवश्यम्भावी उतार और चढ़ाव से निपटने के लिए यह एक पुस्तिका है. एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक के रूप में 30 साल के अनुभव से प्राप्त चिकित्सीय अंतर्दृष्टि के साथ, अपनी आत्मकथात्मक यात्रा पर आधारित इस पुस्तक में, डा० लिंडल आपको अपने जीवन को एक अलग लेंस से देखने के लिए आमंत्रित करते हैं. जबकि यह एक आंशिक काल्पनिक कहानी है. जो शिक्षाएँ वे आत्म-अन्वेषण और बुद्धि पर प्रदान करते हैं वह आपको अपने अस्तित्व को समझने में सहायता करेगा.
डा० लिंडल की शिक्षाएँ एक ‘आसानी-से-पढ़ने वाली’ कहानी में गुंथी हुई हैं जो रिक्की के रोमान्चों का अनुसरण करती हैं, जिसकी आत्मा आध्यात्मिक आयाम से धरती पर जीवनकाल की यात्रा के लिए निकली है. समय के साथ-साथ रिक्की को भौतिक अस्तित्व और हम कैसे इसके अंदर अपनी वास्तविकता की रचना करते हैं का ज्ञान होता है. उसे इस बारे में भी ज्ञान होता है कि हम नकारात्मक भावनाओं को अनुभव करने का विकल्प क्यों चुनते हैं, साथ ही उन परिस्थितियाँ के बारे में और उन्हें रोकने के तरीक़ों के बारे में भी अनुभव होता है जो लोगों को पाप कार्य करने की ओर ले जाती हैं.