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Narendra Kohli

Kunti - 3

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वेद कहते हैं कि अनस्तित्व में से अस्तित्व का जन्म नहीं होता। जो नहीं है, वह हो नहीं सकता। किसी का जन्म नहीं होता। कुछ उत्पन्न नहीं होता। स्रष्टा और सृष्टि दो समानान्तर रेखाएँ हैं, जिनका न कहीं आदि है न अन्त। वे दोनों रेखाएँ समानान्तर चलती हैं। ईश्वर नित्य क्रियाशील विधाता है। जिसकी शक्ति से प्रलयपयोधि में नित्यशः एक के बाद एक ब्रह्माण्ड का सृजन होता रहता है। वे कुछ काल तक गतिमान रहते हैं और उसके पश्चात् विनष्ट कर दिए जाते हैं। सूर्य चन्द्रमसौ धाता यथापूर्वम् अकल्पयत्। इस सूर्य और इस चन्द्रमा को भी पिछले चन्द्रमा के समान निर्मित किया गया।...तो यह जन्म लेने से पहले, इस शरीर को धारण करने से पहले भी तो कुन्ती कुछ रही होगी, कोई रही होगी। कौन थी वह ?... (C) 2018 Vani Prakashan
5:12:39
Copyright owner
Bookwire
Publisher
Storyside IN
Publication year
2018
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